
वक़्त तेरे साथ कुछ ऐसा गुजरता है,
लम्हे से पहले ही लम्हा गुजरता है ।
तेरे दीदार की तमन्ना में हर शाम,
तेरी गली से कोई बरहा गुजरता है।
तेरी अदा, तेरी हया, तेरी मुस्कान,
मेरी यादों से कारवां गुजरता है।
एक दिन मिलूंगा समंदर मई तुझसे ,
मेरी आखों से भी दरिया गुजरता है ,
तेरे बिना रूक जाती है ज़िंदगी मेरी ,
वक़्त जाने कैसे आपका गुजरता है ।
3 comments:
daroo peena bund kar do
nati
तेरी अदा, तेरी हया, तेरी मुस्कान,
मेरी यादों से कारवां गुजरता है।
जियो..खूब
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