Saturday, December 29, 2007

तेरे बिना रूक जाती है ज़िंदगी मेरी


वक़्त तेरे साथ कुछ ऐसा गुजरता है,
लम्हे से पहले ही लम्हा गुजरता है ।

तेरे दीदार की तमन्ना में हर शाम,
तेरी गली से कोई बरहा गुजरता है।

तेरी अदा, तेरी हया, तेरी मुस्कान,
मेरी यादों से कारवां गुजरता है।

एक दिन मिलूंगा समंदर मई तुझसे ,
मेरी आखों से भी दरिया गुजरता है ,

तेरे बिना रूक जाती है ज़िंदगी मेरी ,
वक़्त जाने कैसे आपका गुजरता है ।

हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये


हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये
करोगी मोहब्बत तो चेहरे पे उदासी छायेगी
जो छायेगी उदासी तुझे नींद न आएगी
नींद न आएगी तो चेहरे पे असर आएगा
फिर जाने कब तलक तू मुझसे मिलने न आएगा
तू मिलने न आये मुझसे ऐसी नौबत ही क्यों आये



हम
चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये
करोगी मोहब्बत तो कुछ यू मोहब्बत होगी
कभी शक होगा मुझ पे कभी शिक़ायत होगी
जिनसे वास्ता नहीं उनसे अदावत होगी
शहर से नफरत दुनिया से बगावत होगी
हम सह जायेंगे तुम न सह पावोगी
कैसे ज़माने के सितम उठावोगी
समझायेंगे घर वाले मुझसे खफा हो जावोगी
में तनहा रह जाऊंगा तुम बेवफा हो जावोगी
तुम हो जाओ बेवफा ऐसी नौबत ही क्यों आये
हम चाहते ही नहीं मोहब्बत हो जाये